आत्मा क्यां है ?
बहुत से भाई इस बात को ही नही मानते की आत्मा नाम की कोई वस्तु या शक्ति भी है . देखिये इसे बहुत ही सधारण उदाहरण से समझा जा सकता है . देखिये शरीर तो है ही जो हर किसी को दिख रहा है . लेकिन यह बात भी सच है कि जब कोई व्यक्ति मर जाता है तब भी शरीर तो रहता ही है, परन्तु मृत होता है . जो भी शक्ति शरीर को जीवित बनाती है और उसे कार्य करने के लायक बनाती है, उस शक्ति को ही आत्मा कहते है .
गीता जी में आत्मा का जो विवरण दिया गया है वो इस प्रकार से है :-
नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारूत: ॥ (अध्याय २ श्लोक सख्यां २३)
इस आत्मा को शस्त्र नही काट सकते, इसको आग नही जला सकती, इसको जल नही गला सकता और वायु नही सुखा सकता ॥
यानि एक ऎसी शक्ति या वस्तु जिसे काटा न जा सके यानि किसी भी प्रकार का शस्त्र हो या किसी भी प्रकार की तकनीक हो चाहे आज की लेज़र तकनीक भी क्यों ना हो तो भी आत्मा को नही काटा जा सकता. इसको आग नही जला सकती यानि कितना भी तापमान क्यों न हो चाहे तो परमाणु विस्फ़ोट जितना भी तापमान हो तो भी इस आत्मा को नही जलाया जा सकता . इसी प्रकार इसे जल नही गला सकता और वायु भी नही सुखा सकता .
अब आगे चलते है :-
अव्यक्तोऽयमचिन्त्योऽयमविकार्योऽयमुच्यते ।
तस्मादेवं विदित्वैनं नानुशोचितुमर्हसि ॥ (अध्याय २ श्लोक सख्यां २५)
यह आत्मा अव्यक्त है, यह आत्मा अचिन्त्य है और यह आत्मा विकार रहित कहां जाता है ।
यानि यह आत्मा एक अलग प्रकार की शक्ति या वस्तु है जो इस संसार की अन्य सभी वस्तुओं से न्यारी है . बिल्कुल अलग . इतनी अलग कि इसको हम व्यक्त भी नही कर सकते इतनी अलग कि हम इसका चितंन भी नही कर सकते . यानि इस आत्मा के गुण हमारे यहा की किसी भी वस्तु या शक्ति से मेल नही खाते. यह इस प्रकृति के अन्दर की वस्तु नही है और न ही हमारे मन व दिमाग की सीमा के अन्दर आती है . गीता जी में इसीलिये ही स्वयं ने परमात्मा आत्मा को अपना ही अंश बताया है . और इस आत्मा को जान कर ही उस असीम शक्ति परमात्मा में मिलाने को कहा है .
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