सत्य क्या है ?
बाल गंगा धर तिलक जी ने गीता जी पर अपनी एक टीका में एक बड़ा ही सुन्दर उदहारण दिया है जो को सत्य की परख पर है . वो कहते है मान लीजिये की आप किसी एक स्थान पर खड़े है और एक व्यक्ति भागता - भागता आता हुआ आपके पीछे कही आकर छुप जाता है और इसके कुछ क्षण बाद ही एक अन्य व्यक्ति हाथ में तलवार लिए उस छिपे हुए व्यक्ति को मारने के इरादे से आपके सामने आकर छिपे हुए व्यक्ति के बारे में पूछता है ! लेकिन आप सत्यानिष्ट है ऐस्सी स्थिति में आप क्या करेगे ? अब अगर शाब्दिक सत्य बोलते है तो वह छिपा हुआ व्यक्ति मारा जाता है और अगर झूठ बोलते है तो सत्यानिष्टता जाती है !
अब आपको सत्य को बचाने के लिए शाब्दिक सत्य से ऊपर उठाना पड़ेगा शब्दों के जाल को छोड़ना पड़ेगा आप को यह समझना होगा की सत्य किसी भाषा का मोहताज नहीं है अब अगर किसी की जान बचानी है और एक पाप होने से बचाना है और अगर एक हिंसा होने से बचानी है तो शाब्दिक झूठ का सहारा लेकर सत्य की रक्षा करनी पड़ेगी ! क्योकि यहाँ सत्य की रक्षा करना ही सत्य है .
No comments:
Post a Comment