Thursday, April 28, 2011

बच्चों को कम मत आकिंये !


बच्चें भी हम बड़ो की तरह हमारे शास्त्रों को पढ़ व समझ सकते है । उन्हे किसी भी तरह से कम मत समझिये । पिछले साल गीता जयंति पर मैने अपने शहर के एक सरकारी स्कूल में गीता पर एक प्रतियोगिता का आयोजन किया । आयोजन हरियाणा संस्कृत अकादमी और स्कूल प्रशासन से भी पूरी सहायता मिली । बड़ा कमाल का आयोजन था । मेरे साथ थे श्री निज्जानन्द शास्त्री जो कि संस्कृत के एक जाने माने विद्वान है । इसमें दो वर्ग हमने निर्धारित किये छटी से आठंवी तक पहला वर्ग और नोंवी से बाहरवी तक दूसरा वर्ग । प्रतियोगिता यह थी कि १२ वे अध्याय में सें किसी भी एक श्लोक का चोथा हिस्सा बोला जायेगां और प्रतियोगी को वह श्लोक बोल कर पुरा करना होगा । हम लोग पहली बार इस प्रकार का आयोजन कर रहे थे और हमारे मन में बड़ी चिन्ता हो रही थी कि छटी से आठवीं कक्षा के छोटे छोटे बच्चे यह सब कैसे कर पायेगें । परन्तु जब प्रतियोगिता शुरु हुई तो छोटे - छोटे बच्चों ने सब को हैरान कर दिया । हर श्लोक का सही उच्चारण वो भी पूरे जोश के साथ । और जो नोवीं से बाहरवी का वर्ग था उस वर्ग के सभी बच्चों ने तो बिना रूके पूरा का पूरा अध्याय ही सुना कर सभी को मन्त्रमुग्ध कर दिया । हम जिन्हें महज छोटे बच्चे समझ रहे थे उनमें भी शास्त्रो को पढ़्ने की और सही उच्चारण करने की पूरी क्षमता थी ।  हमारे मुख्य अतिथि प. श्री रामेश्वर दत्त शर्मा जो (अध्यक्ष हरियाणा संस्कृत अकादमी) इतने प्रभावित हुए कि उन्होने उसी वक्त सभी प्रतिभागियों को सौ-सौ रुपये इनाम दिया । ..... मेरा यह सब बताने का आशय यह है कि यह मत समझिये कि बच्चे अभी छोटे है वो इन बातों को क्या समझेगें । उन्हे भी अपनी ग्रन्थ सम्पदा से अवगत कराइये । उनके हाथो को हमारे ग्रन्थो का अहसास अवश्य कराइये ......

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