Tuesday, April 5, 2011

मन !

इस दुनिया में अब तक जितने भी ध्यान के तरीके खोजे गए है उन सबका एक ही मकसद है - मन को रोकना केवल और केवल मन को रोकना | यही आध्यात्मिकता है ! इसके बाद ही ईश्वर की बात शुरू होती है ! मन से पहले जो भी बाते है वो केवल और केवल शारीरिक ही है ना कि आत्मिक ! 

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