Saturday, May 14, 2011

कहां हो तुम.....


नही पाया तुम्हें शब्दों के आडम्बर में....
नही पाया तुम्हें द्रश्यों की मरिचिका में.....
नही पाया तुम्हें धर्म की गुढ़ विवेचना में....
नही पाया तुम्हें वाणी की गहनता में..........
कहां हो तुम......

पर मै जानता हूं......
तुम हो.......................
यही हो.....
मेरे अन्दर........
मेरे बाहर भी.......
पर..........
कहां हो तुम..............

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